Saturday, May 23, 2009
कोर्ट का फैसला है मानना तो होगा ही
देश में सबसे बडी अदालत ही होती है। अदालतें सरकारी फैसलों को भी बदलने का दम रखती है उस पर देश का सुप्रीम कोर्ट तो सबसे बडी ताकत रखता है। उसके न्यायाधीश जो निर्णय देते हैं वो कानून बन जाता है इसलिये यह बताया जाता है कि कोर्ट के फैसलों को सर माथे पर रखना चाहिये। बडे बडे लोग जब कोर्ट से मुकदमा हार जाते है उसके बाद भी ये ही कहते हैं कि उन्हें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है अब जिस न्यायालय की इतनी ताकत हो यदि वो कह रहा हो कि बीबी जैसा कहे वैसा ही करो तो जिन्दगी आराम से गुजरेगी तो कौन ऐसा बेबकूफ होगा जो जिन्दगी आराम और शांती से गुजारना न चाहता हो। वैसे भी कोर्ट ने तो यह बात काफी लेट कही है यहां तो हर आदमी पहले से ही बीबी की हां में हां मिला रहा है और ये जरूरी भी है क्योंकि हरशादी शुदा मर्द को मालूम है कि बीबी से पंगा लेना अपने आप को संकट में डालना ही है क्योकि जो लोग बीबी की बात नही मानते हैं उन्हे पत्नी पीडित संघ बनाना पड जाता है जहां तक अपने को मालूम है भारतीय संस्कार में नारी को सबसे बडा दर्जा दिया गया है दुर्गा जी ने बडे बडे राक्षसों का संहार कर दिया था। महाकाली का तो रूप ही ऐसा होता है कि आदमी मारे भय के कांप जाता है उनके तेज के सामने किसी का तेज नही ठहरता। देश के सबसे बडे कोर्ट ने ये सुझाव बडे अनुभव के बाद दिया है ऐसा लगता है और तो और उन्होंने तो वकीलों को ये सलाह भी दे दी है कि अपनी कमाई ले जाकर सीधे बीबी के हाथों में रख दो अपना मानना तो ये है कि अस्सी परसेंट मर्द अपनी तनख्वाह अपनी बीबी के हाथों में ही पहले से ही रखते आ रहे है क्योकि कहते है न पैसा सारी विवादों की जड होता है। पैसा भाई भाई बाप बेटे में जब झगडा करवा सकता है तो मियां और बीबी की तो बिसात ही क्या है सुप्रीम कोर्ट के इस सुझाव के बाद लाखों लोगों ने अपनी अपनी बीबियों को ही अपना खुदा मान लिया है क्योकि वे भी जानते है कि कोर्ट जो कुछ भी कहता है पूरें तथ्यों के आधार पर ही कहता है जहां तक बीबियों को सवाल है तो इसमें तो कोई शक नही है कि यदि बीबी प्रसन्न हो तो आपके सारे गुनाह वो माफ कर देती है बस उसको खुश करने की कला आपको आनी चाहिये और ये भी कोई ज्यादा कठिन काम नही है कभी कभार साडी लाकर दे दो। कभी गहने बनवा दो। किसी दिन लम्बी सैर पर चले जाओ। उसकी खूबसूरती की तारीफ कर दो। उसके भाई बहनों को कोई भेंट दे दो। अपने ससुराल की जम कर बडाई कर दो। पडोसन को उसकी तुलना में बदसूरत बतला दो भले ही वो ऐश्वर्या राय ही क्यों न हो। बस इतने से तो गुर है जो बीबी को खुश रखने के लिये पर्याप्त है। इतने में ही तो उसे लगता है कि उसका मर्द कितना अच्छा और उसे जी जान से चाहने वाला है और वो खुश हो जाती है। कहते हैं न पति और पत्नी गाडी के दो पहिये होते हैं अपना ख्याल तो ये है कि हर शादी शुदा मर्द को पिछला पहिया बन जाना चाहिये और बीबी को बना देना चाहिये अगला पहिया। इससे फायदा ये होगा कि जहां जहां अगला पहिया जायेगा पीछे वाले को मजबूरी में उसके पीछे पीछे जाना ही पडेगा और जब वो उसके पीछे पीछे जायेगा तो गाडी के यहां वहां भटकने की गुंजाईश ही खत्म हो जायेगी। कोर्ट ने जो कुछ भी कहा है उसे तो अपन ने पत्थर की लकीर मानकर उस पर अमल भी शुरू कर दिया है क्योंकि कि अपन भी चाहते हैं कि जितने दिनों की जिन्दगी बची है सुख और शांति से गुजर जाये।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
अदालतों का काम टेंशन लेने का है। उस टेंशन के बीच कभी कभी ह्यूमर भी होता है। यह जज साहब का ह्यूमर था जो उन्हों ने यह बात कह दी। यह किसी वैधानिक कार्यवाही का भाग नहीं था।
ReplyDeleteहाँ, कोई पत्रकार जज साहब की श्रीमती जी का इंटर्व्यू लेकर आए तो बात ह्यूमर का विस्तार हो सकता है।
चुन्नू भैया सही लिखा
ReplyDelete