Wednesday, May 6, 2009

आशा से तो आसमान भी टंगा है

कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी ने अच्छी बात कही कि उन्हें इस बात की पूरी आशा है कि जब सरकार बनाने का वक्त आयेगा तब वाम मोर्चा कांग्रेस का समर्थन कर एक बार फिर से उसे सत्ता की कुरसी तक पहुंचा देगा। लगे हाथों उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीष कुमार की तारीफ में भी कसीदे पढ डाले उन्हं इस बात की भी आशा होगी कि हो सकता है अपनी तारीफ से गदगद हो गये नीतीष कुमार भी कांग्रेस की गोद में जा गिरेंगे। आशावान होना कोई गलत बात नहीं है बडे बडे चिन्तक और ज्ञानी हमेशा अपने प्रवचनों में यही कहते है कि आशावान बने रहो नेगेटिव मत सोचो बी पाजिटिव। लगता है इनका असर अपने राहुल भैया पर कुछ ज्यादा ही हो गया है तभी तो वे उन लोगो से समर्थन की आशा कर रहें है जिन्होंने बीच मझधार में उनकी पार्टी का साथ छोड दिया था पर अपन को राहुल बाबा की दूरंदेशी पसंद आई वैसे भी जिनसे समर्थन की आशा राहुल जी कर रहे है उनकी कथनी और करनी में कितना अंतर है ये तो देश का बच्चा बच्चा जान गया है। वे आज कुछ कहते है कल कुछ फिर परसों फिर कोई नई बात करते हँ। जिसका दिमाग और मन ही स्थिर न हो वो तो कभी भी कुछ कह और कर सकता है शायद यही राहुल बाबा ने भी सोचा होगा कि जब सरकार बनाने की बात आयेगी हो सकता है उस वक्त इन वामपंथियो का दिल और दिमाग कांग्रेस के समर्थन में काम करने लगे और वे उन्हं समर्थन दे दें। वैसे भी भारत में राजनीति की जो बयार बह रही है उसमें कुछ भी हो सकता है। हो सकता है भाजपा कांग्रेस मिलकर सरकार बना ले। ये भी हो सकता है लालू और नीतीष कुमार मोटर साइकल में बैठकर ये गाना गाते दिखाई दें ये दोस्ती हम नही छोडेगें। हो सकता है माया और मुलायम एक दूसरे के लिये जान की बाजी लगा देने की बात कहने लगें। ये भी संभव है कि मनमोहन सिंह आडवानी जी को प्रधानमंत्री पद के लिये खुद ही प्रपोज कर दें। ये भी हो सकता है कि सुषमा स्वराज और सोनिया गांधी जबरदस्त सहेलियां बन जायें। न कहो ये भी हो जाये कि वाम मोर्चा संघ में षमिल हो जाये यानी कुल मिलाकर भारत की राजनीति में कुछ भी हो सकता है और जब यहां कुछ भी हो सकता है तो राहुल बाबा ने यदि वाममोर्चे के समर्थन की आषा यदि कर ली तो क्या गलत हो गया। वैसे भी युद्ध और प्यार में सब जायज है वाली कहावत में अब राजनीति भी जुड गई है इसलिये राहुल बाबा के बयान को गंभीरता से लिया जा सकता है और फिर आषा करने की छूट तो सबको है। एक भिखारी भी इस बात की आषा कर सकता है कि एक न एक दिन वो भी अंबानी जैसा अमीर हो जायेगा इस पर तो किसी की रोेक है नहीं। हर बाप अपने बेटे से आषा करता है कि वो पढ लिखकर उसका नाम रोषन करेगा ये बात अलग है कि उसके चक्क्र में बाप को थाने और कोर्ट कचहरी के चक्क्र लगाने पड जाते है अपना मानना तो ये है कि राहुल भाई साहब के बयान पर वामपंथियों को कोई कमेंन्टस नही करने चाहिये थे क्योकि कब क्या हो जाये ये कोई नही सिर्फ उपर वाला ही जानता है

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