Sunday, May 17, 2009

उल्टे चलोगे तो ये तो होगा ही

दुनिया में हर किसी को सीधा ही चलना पडता है जो भी उल्टा चलता है उसे गच्चा खाना ही पडता है माना कि भारत में यातायात लेफट से चलता है पर बाकी काम तो सीधे यानी राइट से ही होते हैं दाहिना हाथ हर अच्छे काम के लिये उपयोग में आता है किसी की पूजा करना है तो दाहिने हाथ से ही होती है प्रसाद दाहिने हाथ में लिया जाता है अधिकांश लोग दाहिने हाथ से लिखते है अपने सारे काम इसी हाथ से ही करते है माथे पर चंदन इसी हाथ से लगाया जाता है यहां तक कि किसी को रहपट भी मारना होता है तो दाहिने ही हाथ का प्रयोग किया जाता है हर शुभ काम में दाहिने हाथ ही प्रयोग होता है बांये हाथ का उपयोग किस काम के लिये किया जाता है यह बतानें की जरूरत नहीं है पर इतना सब कुछ जानने के बाद भी यदि ये कम्युनिस्ट लेफट यानी उल्टी चाल चल रहे थे तो ये तो होना ही था जो उनके साथ हुआ। बडी बडी बातें करते थे अपने करात साहब। जब चाहे बेचारे मनमोहन सिंह को अडी पटकते रहते थे ये मत करो। ये करो। ये किया तो ठीक नही होगा। मानो मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री न हुये घर को छोटा बच्चा हो गये कि हर बात में उसे टोका जाये। माना कि आप कांग्रेस को सपोर्ट कर रहे थे और सपोर्ट भी इसलिये कर रहे थे कि कही भाजपा वाले सत्ता में न आ जाये वरना कांग्रेस तो आपको कभी फूटी आंख नही सुहाती थी भाजपा के डर से कांग्रेस से हाथ मिलाया तो था पर यहां भी वो ही लेफट यानी बांया हाथ मिलाये हुये थे अब बांये हाथ का बंधन कितना मजबूत रहेगा तो परमाणु समझौते का जरा सा धक्का लगा और हाथ छूट गया। आपको लगा था कि कांग्रेस उनका हाथ छूटते ही धारम धार बह जायेगी पर वे नही जानते थे कि कांग्रेस के पंजे को थामने वाले और भी थे और यही हुआ। आपका हाथ छूटते ही कई दूसरे हाथों ने कांग्रेस के पंजे को लपक लिया। इस चुनाव में आपको इस बात का अहसास दिला दिया वोटरों ने कि उल्टे रास्ते चलने वालों का हश्र क्या होता है? जिस पश्चिम बंगाल और केरल के दम पर ये लोग इतराते थे वहां इनकी ऐसी मटटी पलीद हुई कि दिन में तारे नजर आ गये अब कह रहे है कि हम विपझ में बैठेगे हुजूर जब हार गये हो तो विपझ में तो बैठना ही पडेगा कौन सा अहसान कर रहे हो देश वालों पर ये बतला कर कि हम अब विपझ में बैठेगे। विपझ में नही बेठोगे तो और कहां बेठोगे? आप लोगों के लिये कोई भी कुरसी खाली नही बची है रहा सवाल कांग्रेस का तो कल तक वो आप लोगों का मुह ताकती थी अब आप लोगों को उसका मुंह ताकना पडेगा वैसे भी आप लोगों के पाखंड से सारे भारत के लोग परिचित है दुनिया भर से कम्युनिज्म ने विदाई ले ली पर आप अभी भी उसे उसी तरह चिपकाये घूम रहे हो जैसे बंदरिया अपने मरे बच्चे को अपनी छाती से चिपकाये घूमती है पर देख लिया न आप लोगो ने उल्टा चलने का फल। अरे भैया ये तो सोचो कि सडक पर भी जो आदमी चलता है वो जब तक सीधा नही चलेगा तब तक अपने घर कैसे पहुंचेगा पर आप लोग तो उल्टे चल रहे थे इसलिये फिर वही पंहुच गये जहां से शुरू किया था अभी भी वक्त है अपना नाम लेफट से बदल कर राइट कर लो और सीधे रास्ते चलना स्टार्ट कर दो भगवान ने चाहा तो जैसे सबकी इच्छा पूरी होती है आप लोगों की भी इच्छा कभी न कभी पूरी हो ही जायेगी इति शुभम ।

1 comment:

  1. आपके ब्लॉग की सामग्री काफी अच्छी लगी, आप अच्छा लिखते हैं ,
    साथ ही आपका चिटठा भी खूबसूरत है ,

    यूँ ही लिखते रही हमें भी उर्जा मिलेगी ,

    धन्यवाद
    मयूर
    अपनी अपनी डगर

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