Saturday, May 16, 2009

धरे रह गये न सारे के सारे एक्जिट पोल

ये मीडिया वाले भी पता नही क्यों चुनाव के दौरान एक्जिट पोल करते रहतें है जब मालूम है कि वोटर आजकल बहुत चालू हो गया है वोट किसी को देता है और बताता कुछ और है तो क्यों उस पर भरोसा करके अपने अपने नतीजे टीवी में दिखलातें फिरते हो। अब क्या रह गई आप लोगों की। सारे के सारे नतीजों पर पानी फेर दिया इन वोटरों ने। कोई कह रहा था कि यूपीए को डेढ सौ से एक सौ अस्सी के बीच सीटे मिलेंगी तो कोई एनडीए को पोने दो सौ तक ले जाने की बात कर रहा था पर जब वोट ईवीईम मशीनों से बाहर आये तो सारे एंकरों के चेहरों से हवाईयां उडने लगीं। जो नेता अपनी पार्टी की सरकार बनाने की बात कह रहे थे न जाने कहां दुबक कर बैठ गये। भले ही टीवी वाले अपने आप को बहुत होशियार समझें पर उनको भी अब पता लग गया होगा कि उनसे ज्यादा होशियार इस देश का मतदाता हो गया है। कब किसको सत्ता की कुरसी पर बैठाना है और कब किसको अडी पटकना है ये उससे ज्यादा अच्छी तरह से कोई नही जानता अपने को तो एक बात आज तक समझ में नहीं आई कि जब हर बार इन टीवी वालों का एक्जिट पोल फेल हो जाता है तो ये बार बार उसको क्यों अपनाते हैं अरे भैया ये हिन्दुस्तान है यहां कब क्या हो जाये किसी को नही मालूम। अब क्या कांग्रेस ने ये सोचा होगा कि उसे इतनी सारी सीटें मिल जायेगी पर मिल गई न। बेचारे आडवानी जी कब से पीएम की सीट के रिज़र्वेशन के लिये ऍप्लिकेशन लगाये थे पर उनका रिज़र्वेशन इस बार भी कन्फर्म नही हो पाया और देखते ही देखते गाडी उनकी आंखों के सामने से प्लेटफोर्म छोडकर आगे निकल गई। अब पांच साल तक फिर वेटिंग में रहना पडेगा कहतें है न आदमी सोचता कुछ और है और होता कुछ और है। यदि आदमी जो सोच रहा है वैसा ही होने लगे तो ऊपर वाले की ताकत को कौन मानेगा। इस बार के चुनावों के बाद अब टीवी वालों को शिवाजी महाराज की शपथ ले लेना चाहिये कि चाहे लोकसभा चुनाव हों विधानसभा चुनाव हों नगर निगम के चुनाव हों या फिर पंचायत के। अब वे एक्जिट पोल नही करेंगे क्योकि इन टीवी के रिपोर्टर जिन लोगों से बात करते है वे न कहो वोट ही डालने न जाते हों पर अपने को ये भी मालूम है कि भले ही इनकी बेइज्जती हो गई हो पर ये अपनी आदतों से बाज नही आयेंगे और हमेशा एक्जिट पोल करते ही रहेंगे लगता है इन लोगों के भीतर विक्रमार्क की आत्मा घुस गई है यही कारण है कि वो अपना हठ नही छोडता और जैसे ही चुनाव आता है एक्जिट पोल करने के लिये तत्पर हो जाता है अब भी वक्त है पहचान लो मतदाताओं की फितरत को और मान लो कि वे वे भले ही बिना पढे लिखे हों गरीब हों कमजोर हों पर आप लोगों की पोल खोलने के लिये वे पूरी तरह से सक्षम है समझ गये न।

4 comments:

  1. पाश्चात्य मुल्कों में एक्जिट पोल को मनोरंजन का एक साधन माना जाता है, लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते हैं। और एक्जिट पोल में लगे लोग भी इस बात को अच्छी तरह से जान रहे होते हैं। अत एक्जिट पोल को इसी रूप में लेना चाहिये....देखो, मुस्कराओ और आगे बढ़ो.....हां इससे उनका कुछ धधा जरूर हो जाता है....और धंधा करने का अधिकार सबको है....

    ReplyDelete
  2. सर NDTV india एग्जिट पोल्स सबसे करीब और सही थे

    ReplyDelete
  3. बहुत बढ़िया . आपकी चिठ्ठे की चर्चा समयचक्र में

    ReplyDelete
  4. एक्जिट पोल को मित्र राजनीतिक पार्टियों को खुश करके कमाई के लिए किए जाते हैं, एक्टिज पोल में चंद लोगों से बात करके कभी सही अनुमान नहीं निकाला जा सकता है। बहरहाल एक नजर इधर भी देखें
    मनमोहन का अर्थशास्त्र आया काम-अडवानी का नहीं भाया नाम

    ReplyDelete