Thursday, May 7, 2009

बाबाजी ये लोकतंत्र है

योग गुरू बाबा रामदेव इन दिनों देष के नेताओं से भारी खफा है उनका कहना है कि जो लोग बडी बडी परीक्षायें पास करके आते है उन्हं अंगूठा छाप मूर्ख और बेईमान नेताओं के नीचे काम करना पडता है इससे देष का नुकसान हो रहा है और देष गर्त में जा रहा है। बाबाजी ने ये भी कहा है कि चुनाव रिजल्ट आने के बाद वे एक बहुत बडा आन्दोलन खडा करने वाले हैं। बाबा रामदेव का राजनेताओं से अचानक मोहभंग क्यों हो गया यह बात अपने समझ में नही आई। अभी तक तो बाबाजी और देष के नेताओं के बीच अच्छी खासी दोस्ती चल रही थी। वे जिस प्रदेष में जाते थे वहां के नेता बाबाजी के योग षिविर में षिरकत करते थे। योग संस्थान चलाने के लिये जमीनें देने की बात करते थे पर अचानक क्या हुआ कि ये नेता उन्हं मूर्ख और बेईमान दिखाई देने लगे। वैसे भी बाबाजी ये लोकतंत्र है यहां जो जनता के वोटों से जीत कर आता है वो राज करता है चाहे वो अंगूठा छाप हो या फिर उंगली छाप। जब देष की रीति नीति ही ऐसी है तो उसमें हम और आप क्या कर सकते हैं। जिस देष में फूलन देवी को जनता जिता देती है उस देष में यदि कोई मूर्ख राज कर भी रहा है तो उसमें उसका दोष थोडे ही न है और फिर वो काहे का मूर्ख। बिना पढे लिखे यदि वो राज कर रहा है तो उससे बडा बुद्धिमान तो अपनी नजर में और कोई हो ही नही सकता वरना बडी बडी डिग्रियां लेकर आदमी दस हजार की नौकरी के लिये अपनी ऐडियां रगडता रहता है पर उसे कोई घास भी नही डालता पर वो बिना पढा लिखा एक झटके में नेता बनकर सबसे उपर बैठकर राज करनें लगता है। रहा बेईमानी का सवाल तो आज की तारीख में तो अपने हिसाब से ईमानदार केवल वो ही बचा है जिसे या तो बेईमानी करने का मौका नहीं मिल पाया है या फिर वो डर के मारे बेईमानी नही कर पा रहा है। दूसरी बात आजकल ईमानदार की कदर भी कौन कर रहा है जिन्दगी भर जो ईमानदारी से अपना काम करता है उसका बुढापा किस कष्ट में कटता है ये सब जानते हैं फिर जब चारों तरफ ही बेईमानी की बहार हो तो जो बेईमानी न करे उससे ज्यादा मूर्ख तो अपनी नजर में दूसरा कोई और हो ही नहीं सकता। आपको तो मालूम ही होगा कि जिस चुनाव आयुक्त षेषन ने चुनाव में सुधारों के लिये क्रान्ति ला दी थी जब वे बेचारे चुनाव में खडे हुये तो अपनी जमानत भी उन्हें बचाना कठिन हो गया था ऐसे में कौन होगा जो ईमानदारी के बारे में सोचेगा? बाबाजी आप तो ज्ञानी है ये कलियुग है और कलियुग में क्या होता है इसका अध्ययन तो आपने भी किया होगा। बरसों पहले एक फिल्म आई थी गोपी उसमें एक गाना था हे रामचंद्र कह गये सिया से ऐसा कलियुग आयेगा हंस चुगेगा दाना चुनगा कौआ मोती खायेगा। जब उस गीतकार को कई बरस पहले कलियुग के बारे में परी इन्फारमेषन मिल गई थी तब आप तो विकट ज्ञानी कहे जाते हो इस जानकारी से कैसे वंचित रह गये? अपना तो सुझाव है बाबाजी आप तो अपने योग पर ध्यान दो बेहतरीन दुकान चल रही है लोग जोर जोर से सांस ले रहे है और निकाल रहे हैं। इंटरनेषनल लेबल पर आपकी जयजयकार हो रही है देष विदेष की यात्राओं का मौका मिल रहा है और आपको क्या चाहिये अच्छा खासा आश्रम चल रहा है दवाईयां बिक रही है खूबसूरत अभिनेत्रियां आपके चारों ओर अपनी काया को छरहरा और सेक्सी बनाये रखाने के लिये कपालभाति प्रणायाम अनुलोम विलोम कर रही है अब आपको इस उमर में और क्या चाहिये? वैसे अपना एक सुझाव और भी है कि इन नेताओं से पंगा न लेना ये भले ही आपकी निगाह में अंगूठा छाप हों मूर्ख हों पर अडी पटकने वाले से कैसे निबटा जाता है ये वे अच्छी तरह से जानते हैं एक बार मैडम करात ने जब अडी पटक दी थी तब कितने प्राब्लम फेस किये थे आपने। लगता है भूल गये है आप। इसलिये आप तो अपनी दुकान चलाओ और उन्हें अपनी चलानें दो रही जनता की बात तो फुरसत है किसको रोने की दौरे बहार में इस गजल को याद कर लो

1 comment:

  1. हुज़ूर आपका भी .......एहतिराम करता चलूं .....
    इधर से गुज़रा था- सोचा- सलाम करता चलूं ऽऽऽऽऽऽऽऽ



    कृपया एक व्यंग्य को पूरा करने में मेरी मदद करें। मेरा पता है:-
    www.samwaadghar.blogspot.com
    शुभकामनाओं सहित
    संजय ग्रोवर
    samvadoffbeat@yahoo.co.in

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