Tuesday, May 5, 2009

लो अब टाइगर भी फरार होने लगे

अभी तक तो हमने ये सुना था कि पुलिस थानों से चोर फरार हो जाते हैं जेल से कैदी भाग जाते हैं चुनावों के बाद जनता के सामने से नेता फरार हो जाते हैं जेबकतरे जेब काट कर गायब हो जाते हैं नल से पानी गायब हो जाता है पर ये तो पहली बार ही सुना है कि जंगल से टाइगर फरार हो गया लोग भले की इस बात पर भरोसा करें या न करें पर भारत सरकार की ओर से भेजे गये जांच दल ने पन्ना के राष्टीय उद्यान की जब खोज खबर ली तो पता चला कि वहां तो एक भी टाइगर मौजूद नही है जबकि ये उद्यान खुला ही टाईगरों के लिये था अब वहां जो लोग टाइगरों की देखरेख के लिये तैनात थे टार्च लेकर टाइगर की खोज में निकल पडे हैं पर टाइगर है तो उनके साथ ऐसी लुकाछिपी का खेल खेल रहा है कि वे सारे के सारे लोग चाहकर भी उसे तो दूर उसके पंजे के निषान भी नही ढूढ पा रहे हैं। अपनें को तो समझ में ही नही आता कि आखिर टाइगर ऐसा कहां गायब हो गया। माना कि उसे पन्नज्ञ रास नही आ रहा था तो कह देता कि भैया हमारा किसी दूसरे उद्यान में तबादला करवा दो यहां हमारा मन नही लगता पर बिना बताये अचानक गायब हो जाना पता नहीं कितनांे की नौकरी पर बन आयेगी। सारे के सारे लोग हल्लज्ञ मचाने में लग गये है कि पता नही पन्न के उद्याान का एकमात्र टाईगर न जाने कहां और कैसी हालत में होगा। सारा का सारा वन विभाग का अमला रात दिन उसे खोजने में लगा हुआ है पर उसका कहीं पता नही लग रहा है ऐसा लगता है कि उसे या तो जमीन निगल गई या आसमान खा गया है दरअसल इस टाईगर की खोज इसलिये भी जरूरी हो गई है क्योकिं बहुत कम टाईगर बचे है अब पूरे देष में और क्यों न बचे जब लडैयों का जमाना आ गया हो तो टाईगर दुनिया में रह कर करे भी तो क्या करंे? इधर अखबार वाले हल्ला बोल रहे है तो उधर टीवी वाले रोजाना ही पुराने वीडियों के सहारे सरकार और अफसरों को हलाकान किये हुये है कोई जबाब देने की पोजीषन में नही है अपना तो मत ये है कि अब खोजबीन छोडो और अखबारों टी वी में एक विज्ञापन दे दो जो कुछ इस तरह का हो प्रिय टाईगर जी आप जब से गये है तब से हमारा खाना पीना सब हराम है चारों तरफ से बत्ती पड रही है आप अचानक कहां चले गये हो यदि कोई नाराजी थी तो हमसे बतलाते बडी बडी समस्यायंे जब मिल बैठकर बातचीत के जरिये हल हो जाती है तो आपके प्राबलम कौन सी बडी बात थे पर आपने मौका ही नही दिया हमें बिना बताये गायब हो गये आपके विछोह में वन विभाग का सारा का सारा अमला जार जार आंसू बहा रहा है आप जहां भी हो वापस लौट आओ आपसे कोई कुछ नही कहेगा और न ही ये पूछेगा कि इतने दिनों आपने कहां काटे आपके मनोरंजन के लिये हम लोग एक नही दो दो टाईग्रेस दूसरे उद्यानों से बुलवा रहे है अब आपको किसी प्रकार की तकलीफ नही होगी एक बार हमें माफ कर दे हमारी नौकरी बचा ले हम भी बाल बच्च्ेदार लोग है फिर कभी ऐसी गलती नहीं होगी आपकी राह तक रहा वन विभाग का अमला

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