Wednesday, June 3, 2009

एक के तीन नही जीरो हो गये

अहमदाबाद के ठग अशोक डडेजा को पुलिस ने पकड लिया उसका दोष सिर्फ इतना था कि वो लोगों के पैसे ‘‘तिगुने‘‘ कर देता था। पुलिस का आरोप है कि उसने लोगों को एक का तीन करने का लालच देकर करोडो रूपये ठग लिये और उनकी ही शिकायत पर उसने अशोक डडेजा को पकडा है। अभी तक तो अपन ने मशहूर क्रिकेट खिलाडी ‘‘अजय डडेजा‘‘ का ही नाम सुना था पर अब एक और डडेजा ने इस क्रिकेटर की ख्याति को भी पीछे छोड दिया है। लोग बाग अपना सारा सामान, गहने बेचकर ठग राज के दरबार में पैसे जमा करते थे और वो एक हफते में उन पैसों को तीन गुना करके वापस कर देता था पर बाद में पता चला कि भाई जी लोगों के करोडो रूपये लेकर फरार हो गये। अब लुटे पिटे लोग पुलिस के दरवाजे पर दस्तक दे रहे है कि उन्हें उनके पैसे वापस दिलवाओ अब इनसे कोई पूछे कि भैया जी जब एक के तीन हो रहे थे तब तो आपने पुलिस से आकर नही पूछा कि हम पैसे तिगुने करवायें या न करवाये। उस वक्त तो किसी को कानों कान खबर न हो लोग इस कोशिश में लगे रहते थे कि कहीं ऐसा न हो कि पडोसी अपने पैसे तिगुने करवाने पंहुच जाये और उनके पैसे तिगुने न हो पाये। उस वक्त तो अशोक डडेजा इन्हें कुबेर के रूप में दिखाई दे रहा था और आज वही कुबेर उन्हें महाठग, डाकू, धोखेबाज, चीटर और पता नहीं क्या क्या दिखाई दे रहा है। दुनिया में ऐसा कौन होगा जो एक हफते में आपके एक लाख तीन लाख में बदल दे पर कहते हंै न ‘‘लालच बुरी बलाय‘‘ हर एक को लग रहा था कि ऐसा मौका फिर कभी आये न आये इसलिये जितना माल है उसको तिगुना करवा लो। अपने अशोक डडेजा ने भी कई लोगों के नोट तिगुने कर भी दिये और जब ये खबर दूसरों को लगी तो अशोक भाई के यहां लाईन लगने लगी कोई बैग में नोट भरकर ला रहा था तो कोई बोरों में। कोई अपने एक हार को तीन हार में तब्दील करवाना चाह रहा था तो किसी को बीबी के तमाम गहने तिगुने करवाने की लालसा थी। बस फिर क्या था अशोक डडेजा देखते ही देखते भगवान बन गया और लोग उसके भक्त। किसी ने मना भी किया कि भैया इस चक्कर में मत पडो तो वो सलाह देने वाला भला आदमी उन्हें दुश्मन जैसा दिखाई देने लगा पर अब जब सारी जायजाद लुट गई है तो लोग बाग जार जार आंसू बहा रहे है पर अब रोने से क्या होगा ? जो कुछ लुटना था वो तो लुट ही गया भले ही पुलिस ने उसके पास से एक करोड से भी ज्यादा की रकम बरामद कर ली हो पर यह रकम तो लुटने वालों के लिये ऊँट के मुंह में जीरे‘‘ के समान है और फिर ये रकम उसके पास है यानी पुलिस के पास जहां से वापस मिलना ‘‘आसमान से तारे तोडने‘‘ जैसा है इन लुटे पिटे लोगों के प्रति अपनी सहानुभूति है पर क्या करें हिन्दुस्तान में ऐसे लोग आपको हर मोड, हर गली और हर चौराहे पर मिल जायेगे जो लूटने के लिये तैयार है और वे भी जो लुटने के लिये तैयार बैठे हैं। अब पोजीशन ये है कि एक के तीन करवाने वालों को माल एक का तीन नही बल्कि जीरों हो गया है इस जीरो को लेकर बैठो और अशोक डडेजा को जी भर कर गालियां दो पर माल जो जाना था वो तो चला ही गया न गालियां माल तो वापस ला नही सकती?

3 comments:

  1. GALAT BAAT HAI..BHAI IN MAHAARATHI KO TO VIDHESH BHEJ DETE WAJEEFAA DEKAR` WAHAAN SE EK DOLLAR KE TEEN DOLLAR KARTE REHTE ...AMA HUM TO MALAAMAAL HO JAATE....LOG BEWKOOF HAIN JO AB BHEE IN SAB MEIN FANS JAATE HAIN...

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  2. लिखा तो सही है रोज़ ऐसे किस्से देख कर भी लोग लालच नहीम छोडते

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  3. bhai sahab... ye jo log chilla rhe hai... ye bahut khatrnak log hote hain.... aise logon ko police protection bhi nhi dena chahiya... aur na hi police ko inki sunana chahiye.... dhurt type ke log hi dhurton ke pher men padte hain.... aise logon ko jitna loota jaye utna hi thik hai.... dos jadeja ka nhi hai ....

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